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EV के मुकाबले इंजन वाली कारें क्‍यों हैं ज्‍यादा भरोसेमंद ऑप्‍शन, जानिए 5 बड़े कारण

Engine Cars vs EVs: भारत में पिछले कई सालों से EVs को ऑफर किया जा रहा है। लेकिन अभी भी इंजन वाली कारों के मुकाबले EV को खरीदने में कस्‍टमर्स क्‍यों पीछे हटते हैं। क्‍यों EV के मुकाबले इंजन वाली कारों पर ज्‍यादा भरोसा किया जाता है। इसके पांच कौन से कारण हैं। इसे समझने के लिए इस खबर को पढ़ें।

ऑटोमोबाइल न्‍यूज़ डेस्‍क, नई दिल्‍ली। भारत में हर महीने हजारों-लाखों यूनिट्स कार, बाइक्‍स, स्‍कूटर को खरीदा जाता है। जिनमें से अधिकांश इंजन के साथ आते हैं। जिससे रोजाना भारी मात्रा में प्रदूषण होता है। इन वाहनों से होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए सरकार की ओर से कंपनियों को नई तकनीक पर काम करने के लिए कहा गया। जिसका नतीजा यह रहा कि देश में इलेक्ट्रिक कारों को ऑफर किया जाने लगा। लेकिन अभी भी EV के मुकाबले इंजन वाली कारों पर क्‍यों ज्‍यादा भरोसा किया जाता है। इस महत्‍वपूर्ण मुद्दे को पांच पाइंट्स (5 Major Reasons Why Traditional Cars Still Dominate) में समझते हैं।

1. Over Priced EVs

इंडिया में आज भी इलेक्ट्रिक कार को खरीदना ज्‍यादा प्रेक्टिकल नहीं है। ऐसा इसलिए है क्‍योंकि आम इंजन वाली कारों के मुकाबले में इनको खरीदना काफी ज्‍यादा महंगा है। इंडिया में Maruti Alto K10 सबसे सस्‍ती गाड़ी के तौर पर उपलब्‍ध है। इसकी एक्‍स शोरूम Price 4.09 लाख रुपये है। लेकिन अगर आपको किसी इलेक्ट्रिक कार को खरीदना है तो आपके पास सबसे सस्‍ता ऑप्‍शन MG Comet EV है, जिसकी एक्‍स शोरूम Price 7 लाख रुपये से शुरू होती है। ऐसे में कीमत में बड़ा अंतर एक प्रमुख कारण है, जिससे लोग अभी भी EV के मुकाबले इंजन वाली कार खरीदते हैं।

2. EV Infrastructure में कमी

इंडिया में किसी बड़े शहर में हो या फिर किसी दूर-दराज इलाके के गांव में आपको आसानी से पेट्रोल और डीजल की कारों का उपयोग करते हुए लोग मिल जाएंगे। ऐसा इसलिए क्‍योंकि बीते कई सालों में पेट्रोल पंप जैसा इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर काफी बेहतर हो गया है। हर कुछ किलोमीटर पर आपको आसानी से पेट्रोल पंप मिल जाता है। लेकिन ईवी के मामले में ऐसा नहीं है। ईवी एक नया कॉन्‍सेप्‍ट है और इस कारण इसका इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर उतना नहीं है, जिस कारण लोगों को इस बात की चिंता ज्‍यादा होती है कि अगर वह किसी Electric Car में सफर कर रहे हैं तो बैटरी डिस्‍चार्ज हो जाएगी और उनको बैटरी चार्ज करने के लिए चार्जर नहीं मिल पाएगा।

3. समय की बचत

किसी भी पेट्रोल या डीजल कार में अगर फ्यूल खत्‍म हो जाए तो बिना समय खराब किए आप आसानी से कुछ मिनटों में ही टैंक फुल करवा सकते हैं और बिना ज्‍यादा समय खराब किए सफर को जारी रख सकते हैं। लेकिन EV के मामले में ऐसा नहीं है। अगर आप किसी इलेक्ट्रिक गाड़ी से सफर कर रहे हैं और बैटरी डिस्‍चार्ज हो जाए और आपको चार्जर मिल भी जाए तो भी उसे चार्ज करने में आपको एक घंटे से ज्‍यादा का समय लग सकता है। ऐसे में समय की बचत के कारण भी लोग EV को खरीदने से बचते हैं।

4. EV Safety

किसी भी व्‍यक्ति के लिए अपने और अपनी फैमिली की सुरक्षा काफी महत्‍वपूर्ण विषय होती है। इसका ध्‍यान गाड़ी खरीदने के समय पर भी रखा जाता है। इसलिए EV के मुकाबले इंजन वाली कारों को ज्‍यादा तरजीह दी जाती है। बैटरी वाली कारों का चलन पिछले पांच-छह सालों से ही आया है। लेकिन इंजन वाली कारें 100 साल से भी ज्‍यादा समय से चल रही हैं। ऐसे में लोग सुरक्षा के मामले में इंजन वाली कारों को ज्‍यादा पसंद करते हैं।

5. क्‍या सही में Environment Friendly हैं EVs?

सरकार और कंपनी दोनों की ओर से ही इस बात का ज़ोर-शोर से प्रचार किया जाता है कि इंजन वाली कारों के मुकाबले बैटरी वाली कारें काफी कम प्रदूषण फैलाती हैं। लेकिन लोग जानते हैं कि बैटरी बनाने में कितना पानी और केमिकल का उपयोग किया जाता है और इस प्रक्रिया में कितना प्रदूषण होता है। इसके अलावा बैटरी की कार को चार्ज करने में जो बिजली का उपयोग किया जाता है उसे भारत में मुख्‍य तौर पर कोयले को जलाकर बनाया जाता है। ऐसे में यह दावा करना कि इलेक्ट्रिक कारों से प्रदूषण काफी कम होता है यह पूरी तरह से सही नहीं होगा। ईवी खरीदने के बाद से चार्ज करने में जो बिजली की खपत होगी उसकी पूर्ति कोयले को जलाकर होगी। लेकिन अगर कोयले की जगह पानी और सूरज की रोशनी से बनी बिजली का उपयोग ईवी के लिए किया जाए तो फिर यह कारण पूरी तरह से इलेक्ट्रिक कारों के पक्ष में हो सकता है।

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