Mutual Fund Tax: इंडिया में हर दूसरा व्यक्ति Share Market से किसी न किसी तरह से जुड़ा हुआ है। कोई सीधा शेयर में निवेश करता है तो कोई म्यूचल फंड्स में पैसे निवेश करता है। म्यूचल फंड में पैसे निवेश करने के बाद जब मुनाफा होता है तो उस कमाई पर Tax और चार्ज लगते हैं। ऐसे कौन से चार्ज हैं जो ऐसी कमाई पर लगते हैं। इस रिपोर्ट में समझते हैं।
फाइनेंशियल एसेट में गिनी जाती है Mutual Fund से आने वाली कमाई
म्यूचल फंड में निवेश के बाद अगर नुकसान हो तो फिर वह पूरी तरह से व्यक्ति का होता है, लेकिन उससे मुनाफा हो जाए तो फिर उस पर टैक्स और चार्ज देने पड़ते हैं। मुनाफे को फाइनेंशियल एसेट में गिना जाता है और इस पर टैक्स भी वसूल किया जाता है।
कैसे तय होते हैं चार्ज
इसका जवाब काफी आसान है। जब भी कोई व्यक्ति म्यूचल फंड में निवेश करता है तो वह एक अवधि के लिए ऐसा करता है। जितने साल की अवधि के लिए निवेश किया जाता है तो उसी के हिसाब से टैक्स लगाया जाता है। कुछ लोग कम अवधि के लिए निवेश करके मुनाफा कमाते हैं, इन पर शॉर्ट टर्म केपिटल गेन टैक्स (capital gains tax mutual funds) लगाया जाता है। वहीं कुछ लोग लंबी अवधि के बाद जब मुनाफा कमाते हैं तो उन पर लॉन्ग टर्म केपिटल गेन टैक्स लगाया जाता है।
कितने समय पर कितना टैक्स
अगर कोई 12 महीने या उससे कम समय में ही निवेश के बाद मुनाफा कमा लेता है तो ऐसी स्थिति में 20 पर्सेंट टैक्स (mutual fund taxation explained) लगाया जाता है। उदाहरण से समझते हैं कि अगर आपने 12 महीने या उससे कम समय में 1000 रुपये निवेश करने के बाद उस पर 200 रुपये का मुनाफा कमाया है तो फिर 200 रुपये पर 20 पर्सेंट टैक्स देना होगा।
दूसरी तरफ 12 महीने से ज्यादा समय के लिए निवेश के बाद मुनाफा मिलता है तो उस पर लॉन्ग टर्म केपिटल गेन टैक्स देना होगा। जो 12.5 पर्सेंट होता है। इस तरह के मुनाफे पर 1.25 लाख रुपये का टैक्स फ्री होता है।