ऑटोमोबाइल न्यूज़ डेस्क, नई दिल्ली। जब भी कोई नई कार खरीदने जाता है तो कई तरह के सवाल मन में होते हैं। एक सवाल यह भी होता है कि क्या उसे पेट्रोल कार खरीदनी चाहिए या फिर डीज़ल कार (Petrol Vs Diesel) ज्यादा अच्छा ऑप्शन (car fuel comparison) होगी। ऐसा ही सवाल आप भी खुद से पूछ रहे हैं तो जवाब देने की कोशिश हम कर रहे हैं।
माइलेज में कौन बेहतर – Petrol Vs Diesel
बात माइलेज की तो सभी को पता होता है कि पेट्रोल कार के मुकाबले में डीज़ल कार (petrol vs diesel mileage) हमेशा ज़्यादा माइलेज (best fuel efficiency car) देती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि डीज़ल इंंजन में डीज़ल को सीधा सिलेंडर पर स्प्रे किया जाता है। इसके अलावा डीज़ल पेट्रोल के मुकाबले ज़्यादा ऊर्जा भी पैदा करता है। वहीं पेट्रोल इंजन में स्पार्क प्लग यूज़ होता है जिससे खपत बढ़ जाती है।
प्रदूषण किसमें होगा कम
माइलेज के बाद अगर बात प्रदूषण की हो तो फिर पेट्रोल कार आगे निकल जाती हैं। पेट्रोल कारों का इंजन ज़्यादा रिफाइन होता है और पेट्रोल खुद भी जलने पर डीज़ल के मुकाबले कम प्रदूषण करता है। इसलिए दिल्ली एनसीआर में डीज़ल कारों पर कई तरह के बैन लगाए जा रहे हैं।
किसकी परफॉर्मेंस अच्छी होगी
बात परफॉर्मेंस की हो तो फिर डीज़ल इंजन ज्यादा ताकतवर होते हैं। पेट्रोल के मुकाबले डीज़ल में ज्यादा बड़े इंजन भी मिलते हैं। जिससे यह साफ हो जाता है कि डीज़ल इंजन की परफॉर्मेंस पेट्रोल के मुकाबले हमेशा ज़्यादा होती है।
किसका मेंटेनेंस कम
मेंटेनेंस के मामले में तो यह बात किसी से छुपी ही नहीं है कि पेट्रोल कारों का मेंटेनेंस डीज़ल के मुकाबले काफी कम होता है। डीज़ल कारों में यूज़ होने वाले इंजन ऑयल और स्पयेर पार्ट्स ज़्यादा महंगे होते हैं। इसके अलावा डीज़ल इंजन की उम्र भी पेट्रोल इंजन के मुकाबले कम होती है। इसलिए डीज़ल कारों का मेंटेनेंस ज़्यादा होता है।
इंडिया में हर कार की उम्र को फिक्स किया हुआ है। सरकार और ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट के मुताबिक इंडिया में पेट्रोल कार को 15 और डीज़ल कार को 10 साल तक ही चलाया जा सकता है। अभी तो यह नियम दिल्ली में लागू है, लेकिन जिस तरह से प्रदूषण बढ़ रहा है उसे देखते हुए इस नियम को कड़ाई से पूरे देश में लागू किया जा सकता है।