ऑटोमोबाइल न्यूज़ डेस्क, नई दिल्ली। इंडिया दुनिया की सबसे बड़ी कार मार्केट में से एक है। यहां हर साल लाखों कारों को बेचा जाता है। जिनमें कुछ शानदार टेक्नोलॉजी ऑफर की जाती हैं। इनमें से एक टेक्नोलॉजी Air Suspension भी है। इस टेक्नोलॉजी ने किस तरह से ड्राइविंग को बदल दिया है। किस तरह से इस टेक्नोलॉजी से खराब सड़कों पर भी फ्लाइट जैसा एहसास मिलता है। इस खबर में समझते हैं।
क्या है Air Suspension टेक्नोलॉजी
एयर सस्पेंशन कार में लगी हुई ऐसी टेक्नोलॉजी (air suspension technology) है जो खराब सड़कों पर भी कार के अंदर बैठे लोगों को झटकों और गढ्डों की धचकियों से बचाता है। यह हर तरह के झटकों को खुद में ही समा लेता है जिससे केबिन में बैठे लोगों को आरामदायक सफर का एक्सपीरियंस (smooth driving experience) होता है।
किन पार्ट्स से बनता है एयर सस्पेंशन सिस्टम
एयर सस्पेंशन को बनाने के लिए कई पार्ट्स की ज़रुरत होती है। इसके लिए एयर बैलून, कंप्रैसर, एयर लाइन की ज़रुरत होती है। एयर बैलून या एयर बेलो हर कार में अलग साइज़ का होता है और इसे ज़रुरत के मुताबिक कम या ज्यादा भी किया जा सकता है जिससे कार की हाइट भी कम या ज्यादा हो जाती है।
इसके बाद कंप्रैसर का यूज़ एयर बेलो में हवा भरने के लिए किया जाता है। एयर लाइन का यूज़ कंप्रैसर से निकलने वाली हवा को एयर बेलो तक पहुंचाना होता है।
होता है नुकसान?
एयर सस्पेंशन का बहुत बड़ा फायदा आरामदायक सफर है। लेकिन इसका नुकसान भी है। इस टेक्नोलॉजी वाली कार को लंबे टाइम तक सिर्फ खड़ा ही रखा जाए तो यह खराब भी हो सकता है। इसके अलावा ओवरलोडिंग, तेज ब्रेकिंग से भी इसको नुकसान होता है। जिसे बाद में सही करवाने में हज़ारों रुपये खर्च होते हैं। नमी और जंग की वजह से इनके अंदर के हिस्से को नुकसान होने का भी खतरा इनके साथ होता है।