ऑटोमोबाइल न्यूज़ डेस्क, नई दिल्ली। इंजन के साथ आने वाली कारों की पावर को लेकर सबसे ज्यादा चर्चा होती है। इसमें एक टर्म का यूज़ लगातार किया जाता है जिसे टॉर्क कहते हैं। यह क्या होती है। इससे किस चीज़ (Torque In Cars) की जानकारी मिलती है। इस खबर में पढ़ते हैं।
क्या होता है टॉर्क
ग्लोबल लेवल पर कई कार मेकर्स ICE इंजन वाली कारों को बनाते हैं। इनमें दिए इंजन की पहचान टॉर्क के जरिए होती है। किसी भी इंजन की पावर को टॉर्क में नापा जाता है। इससे यह पता चलता है कि कार का इंजन कितना ताकतवर है। आमतौर पर टॉर्क को न्यूटन मीटर में दर्शाया जाता है।
क्या होता है काम – Torque In Cars
जब भी कार को स्टार्ट किया जाता है और जब उसे चलाया जाता है तो टॉर्क (importance of torque in car performance) ही इस बात को तय करता है कि उस कार का पिक-अप (how torque works in vehicles) कितना कम या ज्यादा होगा। कार को हाइट पर चढ़ाने के लिए भी टॉर्क काफी ज़रूरी होता है।
कैसे मापा जाता है टॉर्क
किसी भी कार में टॉर्क को मापने के लिए डायनमोमीटर का यूज़ होता है। ज़्यादातर लोग इसे डायनो नाम से भी जानते हैं। इससे इंजन की पावर और टॉर्क के आऊपुट को सही तरह से मापने में मदद मिलती है। डायनो के ज़रिए ही इंजन की रोटेशनल फोर्स को मापा जा सकता है। यह इंजन की क्रैंक शॉफ्ट की स्पीड से पैदा की जाती है।
इलेक्ट्रिक कारों में किसी भी तरह का इंजन नहीं होता। लेकिन इसमें भी टॉर्क को जेनरेट किया जाता है। ऐसी कारों में टॉर्क जेनरेट करने का काम इलेक्ट्रिक मोटर करती है। जिससे कार को चलाया जाता है। यही वजह है कि इलेक्ट्रिक कारों में टॉर्क सबसे ज्यादा होता है। इसके बाद हाइब्रिड कारों में सबसे ज्यादा टॉर्क होता है। फिर पेट्रोल और फिर डीज़ल कारों का नंबर आता है।